MP BOARD CLASS 10 HINDI SOLUTIONS

 

 
MP Board Class 10th HINDI Solutions in Hindi Medium
पद्यांश का व्याख्या संदर्भ-प्रसंग सहित व्याख्या कीजिए
 

1. "अविगत-गति कछु कहत न आवै।।

ज्यों गंगे मीठे फल को रस, अंतरगत ही भावै।

परम स्वाद सबही सु निरन्तर, अमित तोष उपजावै।

मन-बानी की अगम अगोचर, सो जानै जो पावै।

रूप-रेख-गुन-जान-जुगति-बिन, निरालम्ब किन धावै।

सब विधि अगम विचारहि तार्ते, सूर सगुन पद गावै ।।"

उत्तर-

सन्दर्भ-प्रस्तुत पद भक्तिधारा' के 'विनय के पद' नामक शीर्षक से लिया गया है । इसके रचयिता महाकवि सूरदास है। प्रसंग-साकार भक्ति के समर्थक सूर ने इस पद के निर्गुण का खण्डन करते हुए सगुण का समर्थन किया है। व्याख्या-निराकार ब्रह्म की स्थिति तथा स्वरूप के विषय में कुछ भी कहते नहीं बनता है । निर्गुण ब्रह्म की प्राप्ति से मिलने वाला आनन्द वैसा ही है, जैसा गूंगा व्यक्ति मीठे फल को खाकर उसका आनन्द तो मन ही मन अनुभव करता है किन्तु शदों द्वारा वर्णन नहीं कर पाता है । यह ब्रह्म की श्रेष्ठ आनन्दानुभूति सभी प्रकार से असीमित संतोष उत्पन्न कराती है, किन्तु वह मन तथा वाणी के लिये अगम्य एवं दिखायी न देने वाला है । उसे वही जान पाता है, जो उसे प्राप्त कर लेता है। निर्गुण ब्रह्म बिना स्वरूप, आकृति, गुण तथा जाति वाला है। ऐसी स्थिति में बिना किसी आधार के मन किधर के मन किधर अटके? निर्गुण ब्रह्म सभी तरह से अगमनीय है । इसलिए सूर सगुण भगवान कृष्ण की लीलाओं का गुणगान करने वाले पद गाते हैं।

विशेष- 1. विषय का प्रतिपादन शुद्ध साहित्यिक ब्रजभाषा में किया गया है।

2. रस-शांत

3. छन्द-पद।

 


कबहूँ ससि माँगत आरि करें, कबहूँ प्रतिबिम्ब निहारि डरें ।

कबहूँ कर ताल बजाई के नाचत, मातु सबै मन मोद भरै ।।

कबहूँ रिसिआई कहैं हठिकैं, पुनि लेत सोई जेहि लागि अरे

अवधेश के बालक चारि सदा, तुलसी मन-मंदिर में बिहर ।।

उत्तर- संदर्भ-प्रस्तुत पद्य गोस्वामी द्वारा रचित 'कवितावली' से लिया गया है।

प्रसंग-इस पद में एक सुखी दूसरी सखी से से बालक राम की सुन्दर बाल-लीलाओं का वर्णन कर रही है।

व्याख्या- एक सखी दूसरी सखी से कहती है कि बालक राम कभी तो चन्द्रमा को लेने की जिद करते हैं तो कभी अपनी परछाई से डर जाते हैं। कभी ताली बजाकर नाचने लगते है। तीनों माताएँ उनकी बाल-लीलाओं को निरखकर प्रभुदित हो रही है। कभी गुस्से में राम किसी चीज को लेने की जिद करते हैं और उसे लेकर ही मानते हैं। तुलसीदास जी कहते हैं राजा दशरथ के ये चारों पुत्र तुलसी के मन-मंदिर में विहार करें।

विशेष- 1. उक्त पद वात्सलय भाव से ओत-प्रोत है।

2. अनुप्रास एवं रूपक अलंकार की शोभा दिखाई देती है।

3. बाल सौन्दर्य का वर्णन ।

3. भर रही कोकिला इधर तान,

 

 


मारू बाजे पर उधर गान,

है रंग और रण का विधान,

मिलने आए हैं आदि-अंत,

वीरों का कैसा हो बसंत?

उत्तर- संदर्भ-प्रस्तुत छंद "वीरों का कैसा हो बसन्त?" शीर्षक कविता से लिया गया है । इसकी रचयिता सुभद्रा कुमारी चौहान है । प्रसंग-प्रस्तुत पंक्तियों में यह बताया गया है कि जब देश को आवशयकता हो तो राग-रंग, विलास आदि छोड़कर वीरों को युद्ध का वरण करना चाहिए।

व्याख्या-कवयित्री का कथन है कि एक ओर बसंत के आने पर कोयल अपने पंचम स्वर में वातावरण को मादक बना रही है तो दूसरी ओर युद्ध के मारू बाजे पर आह्वान के गीत सुनाई पड़ रहे हैं। एक ओर जिन्दगी के राग-रंग है तो दूसरी ओर युद्ध का विधान है । कहने का आशय है कि एक ओर विलासिता है तो दूसरी ओर युद्ध की चुनौती कानों को गुदगुदा रही है। इसमें एक जिन्दगी का श्रीगणेश है तो दूसरा जिन्दगी का अन्त ।

विशेष- (1) भाषा सरल, सुबोध खड़ी बोली है।

(2) युद्ध एवं विलास दोनों रूपों का सफल अंकन है।

 

 


4. मान्य योग्य नहि होत कोऊ..................उठहु छोड़ी विसराम |


 

5. भर रही कोकिकला इधर तान ............ वीरों का कैसा हो बसंत ।


 

6. तरवर तास बिलंबिए बारह मास ................. कौड़ी बदले जाइ ।


7. बाँध लेगे क्या तुझे............... अपने लिए कारा बनाना।


8. अवगति-गति कछु कहत न आवै......... सूर सगुन पद गावै ।


 

 

 

 

 

 

 

 

No.  Hindi हिंदी

1.

वस्तुनिष्ठ प्रश्न- (1 अंक के प्रश्न)

2.

रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए-

3.

निम्नलिखित वाक्यों में सत्य/असत्य लिखिए-

4.

सही जोड़ी बनाइए-

5.

एक शब्द अथवा एक वाक्य में उत्तर दीजिए-

6.

2 अंक के प्रश्न

7.

4 अंक के प्रश्न

8.

पद्यांश का व्याख्या संदर्भ-प्रसंग सहित व्याख्या कीजिए

9.

गद्यांशों की सप्रसंग व्याख्या कीजिए-

10.

कवि परिचय-

11.

आवेदन पत्र (औपचारिक पत्र)

12.

विषय पर लगभग 200 से 250 शब्दों मे सारगर्भित निबंध लिखिए

13.

विषय की रूपरेखा लिखिए